

सुनो सिर्फ वैद्य की.. स्वस्थवृत्तं यथोद्दिष्टं यः सम्यगनुतिष्ठति । स समाः शतमव्याधिरायुषा न वियुज्यते ।। ३१।। नृलोकमापूरयते यशसा साधुसंमतः । धर्मार्थावेति भूतानां बन्धुतामुपगच्छति ।। ३२।। परान् सुकृतिनो लोकान् पुण्यकर्मा प्रपद्यते । तस्माद् वृत्तमनुष्ठेयमिदं सर्वेण सर्वदा ।। ३३ ।। उपसंहार - यहाँ उपदिष्ट सद्वृत्त का जो पुरुष उचित रूप से पालन करता है वह सौ वर्षों तक स्वस्थ रहते हुए दीर्घजीवन को प्राप्त करता है। वह मनुष्य लोक में यश को प्राप्त करता है। अर्थात् लोग उसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। वह पुरुष धर्म और अर्थ को प्राप्त करता है तथा लोगों का प्रिय बन जाता है। अपने अच्छे कर्मों के द्वारा वह जन्मान्तर में पुण्य लोकों को प्राप्त करता है। इसलिये इस सद्वृत्तचर्या का हमेशा पूर्णरूपेण पालन करना चाहिए। ॥३०-३३॥ अभी सद्वृत्त में क्या क्या आता है, वह आगे सद्वृत्त Series में बताया जाएगा! Vishwakhyati Ayurvedic Clinic and Panchakarma Center #Best ayurvedic clinic in Dadar #Best ayurvedic clinic in Pune
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